मुक्ति
बड़ी मुश्किल से पाई आजादी, अत्याचारी गोरों से
पर कैसे मिल पाएगी मुक्ति, भ्रष्टाचारी चोरों से |
छली जा रही भोली जनता, रोज मुनाफा खोरों से
भरे जा रहे इनके घर में, नोट ठसा-ठस बोरों से |
बदल गया अब समय हुआ है , चारों ओर दिखावट का
कैसे उठे जनाजा भैया, देश से आज मिलावट का |
समझना है तो समझ लो यारों , कोयल और बटेरों से
पर कैसे मिल पाएगी मुक्ति, भ्रष्टाचारी चोरों से |
बड़ी मुश्किल से पाई आजादी, अत्याचारी गोरों से
पर कैसे मिल पाएगी मुक्ति, भ्रष्टाचारी चोरों से |
अफसर नेता सांठ-गाँठ, कर लेते आँखों-आँखों में
पा जाते वो चेक यहाँ पर, सुन्दर बंद लिफाफों में |
ढोंगी साधु फरेबी बाबा, धन बटोरते रातों में
खूब ठठाकर हँसते रहते, पीले श्वेत लिबासों में |
बचना है तो बचके रहना, लायसेंस धारी लुटेरों से
पर कैसे मिल पाएगी मुक्ति, भ्रष्टाचारी चोरों से |
बड़ी मुश्किल से पाई आजादी, अत्याचारी गोरों से
पर कैसे मिल पाएगी मुक्ति, भ्रष्टाचारी चोरों से |
गंभीर बीमारी फैल चुकी है, देश में भ्रष्टाचारी की
कैसे रुके संक्रमण इसका, बात हो कुछ तैयारी की |
जैसे घर-घर लगे है टीके, प्लेग पोलियो चेचक के
वैसे ही अब लगवा दो तुम, भ्रष्टाचार निरोधक के |
सीखना है तो सीख लो यारों , चातक और चकोरों से
पर कैसे मिल पाएगी मुक्ति, भ्रष्टाचारी चोरों से |
बड़ी मुश्किल से पाई आजादी, अत्याचारी गोरों से
पर कैसे मिल पाएगी मुक्ति, भ्रष्टाचारी चोरों से |
जालिम दुनिया देख स्वर्ग से, घबराता मन माँ हुलसी का
रामायण का शब्द-शब्द सब, सच होगा क्या तुलसी का |
नयी पीढ़ी को पाठ पढ़ा लो , धर्म-कर्म संस्कारों का
भारत से अब नाम मिटा दो , कपटी भ्रष्टाचारों का |
बोल सको तो बोल दो यारों, भारत माँ के दिलेरों से
तब जाकर मिल पायेगी मुक्ति भ्रष्टाचारी चोरों से |
बड़ी मुश्किल से पाई आजादी, अत्याचारी गोरों से
पर कैसे मिल पाएगी मुक्ति, भ्रष्टाचारी चोरों से |