जागो-जागो ग्रामवासी , जागो-जागो नौजवान
जागो भारत माँ के लाल, जागो-जागो रे किसान |
पृथ्वी बनी रहे उपजाऊ , सब मिल ऐसा कुछ कर डालो
अपनाकर तुम जैविक खेती, धरती को खुशहाल बना लो |
भूल रसायन सब जहरीले, बढ़िया जैविक खाद डालो
लोभ लालच में न पड़कर, सबका जीवन स्वस्थ बना लो |
मेरा कहना तुम लो मान, उत्तम खेती को पहचान
जागो भारत माँके लाल, जागो धरती पुत्र किसान |
जागो-जागो ग्रामवासी , जागो-जागो नौजवान
जागो भारत माँ के लाल, जागो-जागो रे किसान |
धरती माँ का एक ही कहना, उर्वरता है मेरा गहना
जेसा बोओ वैसा काटो, उलटी गंगा में न बहना |
कीटनाशक से लड़ी हूँ , मई कुदरत के साथ खड़ी हूँ
आँधी-तूफाँ और बारिश के, बीच में ही पली बढ़ी हूँ |
बनकर तुम सच्चे इन्सान, पालो नियति से ज्ञान
जागो भारत माँ के लाल, लेलो कृषिकर्म सम्मान |
जागो-जागो ग्रामवासी , जागो-जागो नौजवान
जागो भारत माँ के लाल, जागो-जागो रे किसान |
निस्वार्थ भाव से इला, सबको मेहनत का फल देती
कर लो भैया उम्दा खेती, तभी होगी प्रगति |
जैव विविधता का अध्ययन, कर लो तन-मन से
आज यही है गुहार , मेरी जन-जन से |
होगा देश का उत्थान, बनें समृद्ध किसान
जागो भारत माँ के लाल , कृषि कर्म है महान |
जागो-जागो ग्रामवासी , जागो-जागो नौजवान
जागो भारत माँ के लाल, जागो-जागो रे किसान |
एक मै ही नहीं, मेरे जैसे अनेक हैं
जो देखते रहते है सपना
अपने परिवार गाँव और देश के उत्थान का !
नींद भर प्रफुल्लित होते रहते है
स्वप्न में हम खुशहाल नज़र आते है
हमारे गाँव विकास की सज्जा से सँवर जाते हैं
देश की तो बात ही क्या…
चारों ओर समृद्धि दिखाई देती है |
हर हाथ काम करते हैं
भुखमरी का नमो निशान तक नहीं होता है
प्रत्येक परिवार स्वयं के घर की छत के नीचे
चैन की नींद सोता है
किसी को भी किसी बात का भय नहीं
सभी भय मुक्त हैं |
चोरी डकैती लूट पाट की कोई गुंजाईश नहीं दिखती
अनाचार, अत्याचार, बलात्कार की नुमाइश नहीं दिखती
जात-पात और भेद -भाव की बात
लेश मात्र भी नहीं होती
हम सभी सजातीय नज़र आते हैं
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई नहीं
बल्कि भारतीय नज़र आते हैं
स्वप्न रात भर चलता रहता है
दिल खुशी से मचलता रहता है
परन्तु हाय दुर्भाग्य … !
सुबह जब अख़बार घर पर आता है
सुन्दर सपना टूटकर बिखर जाता है ||