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सुन्दर सपना

On May 12, 2020 by manoj

एक मै ही नहीं, मेरे जैसे अनेक हैं
जो देखते रहते है सपना
अपने परिवार गाँव और देश के उत्थान का !
नींद भर प्रफुल्लित होते रहते है
स्वप्न में हम खुशहाल नज़र आते है
हमारे गाँव विकास की सज्जा से सँवर जाते हैं
देश की तो बात ही क्या…
चारों ओर समृद्धि दिखाई देती है |
हर हाथ काम करते हैं
भुखमरी का नमो निशान तक नहीं होता है
प्रत्येक परिवार स्वयं के घर की छत के नीचे
चैन की नींद सोता है
किसी को भी किसी बात का भय नहीं
सभी भय मुक्त हैं |
चोरी डकैती लूट पाट की कोई गुंजाईश नहीं दिखती
अनाचार, अत्याचार, बलात्कार  की नुमाइश नहीं दिखती
जात-पात और भेद -भाव की बात 
लेश मात्र भी नहीं होती
हम सभी सजातीय नज़र आते हैं
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई नहीं
बल्कि भारतीय नज़र आते हैं
स्वप्न रात भर चलता रहता है
दिल खुशी से मचलता रहता है
परन्तु हाय दुर्भाग्य … !
सुबह जब अख़बार घर पर आता है
सुन्दर सपना टूटकर बिखर जाता है || 

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COMMENTS

saransh Rajput May 28, 2020 at 5:43 pm - Reply

काव्यात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से स्वप्न के विषय में, अंकल जी ने, बहुत ही सुन्दर विचारों को रेखांकित किया है।

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